हैदराबाद में ओवेरियन कैंसर का बेस्ट इलाज
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ओवेरियन कैंसर क्या है?
ओवरी फीमेल प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) का एक अहम हिस्सा हैं, जो अंडे (ओवम) और महिलाओं में उत्पन्न होने वाले हार्मोन्स (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) को बनाते हैं। जब ओवेरियन कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगे तो ये ओवेरियन कैंसर कहलाती हैं। गर्भाशय (यूट्रस) के दोनों तरफ एक–एक ओवरी स्थित होती है और कैंसर एक या दोनों तरफ की ओवरी को प्रभावित कर सकते हैं। ये गाइनेकोलॉजिकल कैंसर में होने वाला तीसरा सबसे सामान्य कैंसर है जो ज्यादातर 40 के ऊपर की महिलाओं को प्रभावित करता है। ओवेरी की किस प्रकार की कोशिका प्रभावित होती है, इसके हिसाब से ओवेरियन कैंसर 3 तरह के होते हैं –
-एपीथीलियल कैंसर (सबसे सामान्य)
-मेलिग्नेट जर्म सेल ट्यूमरz
-स्ट्रोमल सेल ट्यूमर (सबसे कम होने वाला)
हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के स्पेशलिस्ट की हमारी टीम
Dr. Amit Jotwani
CoFounder, CMO, Chief OncologistDr. Shikhar Kumar
Consultant Medical OncologistDr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation OncologyDr. Abid Ali Mirza
Surgical OncologistDr. M A Suboor Shaheerose
Medical OncologistDr. Amit Jotwani
CoFounder,CMO,Chief Oncologist
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Shikhar Kumar
MD, DNB,DM – Medical oncology, ECMO
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation Oncology
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
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ओवेरियन कैंसर के संकेत और लक्षण
-थोड़ा खाना खाने पर ही पेट भरा हुआ महसूस होना
– पेट का फूलना
– बार-बार पेशाब लगना
– पेट या पेल्विस में दर्द
– शौच जाने की आदत में बदलाव
– पीठ के निचले हिस्से में दर्द
– संभोग (इंटरकोर्स) में दर्द
– पेट में गांठ या पानी इकट्ठा होना
– खाना न पचना
– थकान
– समय पर पीरियड्स न आना
– वज़न घटना
– वेजाईना से खून आना
– लंबे समय तक बना रहने वाला पीठ दर्द
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हैदराबाद में ओवेरियन कैंसर के लिए डायग्नॉस्टिक टेस्ट
कुछ परीक्षण जो ओवेरियन कैंसर का निदान करने में मदद करते हैं:
पेल्विक परीक्षण – महिलाओं के लिए यह एक तरह का सामान्य स्क्रीनिंग टेस्ट है। इस टेस्ट में डॉक्टर दस्ताने पहने हुए उंगलियों को वेजाइना में डालते हैं और दूसरे हाथ से पेट को दबा कर ओवरी या यूट्रस का नाप, आकार और स्थिरता देखते हैं। साथ ही, बाहर की जननांगों को, वेजाइना, सर्विक्स और रेक्टम को भी देखते हैं।
ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड (TVUS) – इस टेस्ट में डॉक्टर ट्यूमर का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड की एक रॉड को वेजाइना में डाल कर यूट्रस, फैलोपियन ट्यूब और ओवरी का परीक्षण करते हैं।
CA–125 ब्लड टेस्ट – CA–125 खून में पाए जाने वाला एक प्रोटीन है जो ओवेरी की कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। कुछ मामलों में CA–125 की ज्यादा मात्रा ओवेरियन कैंसर का संकेत हो सकती है। लेकिन, ये मात्रा एंडोमेट्रियोसिस या पेल्विक इंफ्लेमेटरी जैसी बीमारियों में भी बढ़ सकती है। इसलिए, ये टेस्ट ओवेरियन कैंसर का सटीकता से पता नहीं लगाते हैं।
बायोप्सी – ओवेरियन कैंसर और इसके स्टेज का पता लगाने का ये सबसे अच्छा तरीका है। इस टेस्ट में एक पतली-सी सुई को ओवरी या पेट में डाल कर उसमें से थोड़ी सी कोशिका को सैंपल के लिए निकाल लिया जाता है जिसे लैब में भेज कर कैंसर की कोशिकाओं का पता लगाते हैं।
जेनेटिक टेस्टिंग – इस टेस्ट में इन्हेरीटेड DNA में हुए बदलाव का पता लगाते हैं, जिससे डॉक्टर को सही इलाज बताने में मदद मिलती है। इस टेस्ट में खून के सैंपल लिए जाते हैं और उन्हें किसी जेनेटिक म्यूटेशन के लिए चेक किया जाता है जिनकी वजह से ओवेरियन कैंसर होता है।
इमेजिंग टेस्ट – अगर आप ओवेरियन कैंसर से पीड़ित हैं तो इमेजिंग टेस्ट जैसे एक्स-रे, सीटी, पेट स्कैन की मदद से उनका फैलाव पता कर सकते हैं।
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हैदराबाद में ओवेरियन कैंसर के इलाज के लिए आधुनिक प्रक्रियाएं
सर्जरी ओवेरियन कैंसर के इलाज में सर्जरी शुरुआती स्टेज और एडवांस स्टेज में कीमोथेरेपी के साथ किया जाता है।
शुरूआती स्टेज के ओवेरियन कैंसर में सर्जरी करके प्रभावित ओवरी और उसके फैलोपियन ट्यूब को निकाला जाता है। अगर दोनों ओवरी में कैंसर हो गए हैं तो दोनों ओवरी को उनके फैलोपियन ट्यूब के साथ निकाल दिया जाता है। इन दोनों ही परिस्थितियों में आप गर्भ धारण कर सकते हैं।
आक्रामक स्टेज के ओवेरियन कैंसर में सर्जरी से दोनों ओवरी, यूट्रस (अगर प्रभावित है), आसपास के लिम्फ नोड्स और पेट के कुछ स्वस्थ ऊतक भी निकाल दिए जाते हैं जिसके बाद आप गर्भ धारण नहीं कर सकती। कीमोथेरेपी सर्जरी के पहले या बाद में 3 से 6 साइकिल में दी जाती है।
अगर सर्जरी संभव नहीं है तो डॉक्टर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी से ट्यूमर को नष्ट करते हैं।
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हैदराबाद में ओवेरियन कैंसर के इलाज के लिए होने वाला खर्च
हैदराबाद में ओवेरियन कैंसर के इलाज का खर्च कई मुद्दों पर निर्भर करता है जैसे हॉस्पिटल की सुविधाएं, मेडिकल विशेषज्ञता, इलाज के पहले के खर्च (विर्मश,खून की जांच और स्कैन आदि), किस प्रकार का इलाज आप करवा रहे हैं, इलाज के बाद का खर्च (समय-समय पर चेक करने के लिए फॉलो अप कंसल्टेशन, टेस्ट, स्कैन, रिहैबिलिटेशन,दवाईयां आदि)। अगर आप अपने कैंसर के प्रकार और इलाज के हिसाब से अपना खर्च जानना चाहते हैं तो हमें कॉल करें 8008575405 पर और हम आपको आपके खर्च का अनुमान बताने में मदद करेंगे।
एक अनुमान से हैदराबाद में ओवेरियन कैंसर के इलाज का खर्च 2,00,000 से 10,00,000 तक होता है।
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क्लिनिकल अनुभव और मरीजों की कहानियां
हमें ओंको कैंसर सेंटर के लिए पॉजिटिव प्रतिक्रियाएं सुनकर बहुत ही खुशी होती है।
यहां द्वारा सर्विस लेने वाले मरीजों ने अपना अनुभव शेयर किया है।
हैदराबाद में ओवेरियन कैंसर के इलाज के लिए पूछे जाने वाले प्रश्न
ओवेरियन कैंसर होने का मुख्य कारण स्पष्ट नहीं है। लेकिन, ऐसे कई खतरनाक कारक हैं जिनसे ओवेरियन कैंसर होने के आसार बढ़ जाते हैं। जैसे–
– डायबिटीज़
– धूम्रपान
– इनहेरिटेड या अक्वायर्ड जीन म्यूटेशन
– उम्र (ओवेरियन कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ते जाता है)
– पेल्विक एरिया में रेडियोथेरेपी
– बढ़ा हुआ वज़न
– ब्रेस्ट या बॉवेल कैंसर का इतिहास
– एंडोमेट्रिओसिस
– कम उम्र में पीरियड्स आना
– पॉली–सिस्टिक ओवेरियन डिसीज (PCOD)
– कभी गर्भ धारण न किया हो
– कभी गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल न किया हो
– बांझपन
– हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले रहे हों
ओवेरियन कैंसर का पता चलने के बाद अगला महत्त्वपूर्ण कदम होता है उसकी स्टेजिंग करना। स्टेजिंग के हिसाब से डॉक्टर आपके लिए सबसे अच्छा इलाज का विकल्प बताते हैं। डायग्नोस्टिक टेस्ट के परिणाम और इमेजिंग स्कैन देख कर डॉक्टर आपके कैंसर की स्टेज बताएंगे और आपके लिए बेस्ट ट्रीटमेंट प्लान तैयार करेंगे। ओवेरियन कैंसर के स्टेज से कैंसर का स्थान, आकार और तीव्रता पता चलती है। FIGO सिस्टम AJCC सिस्टम के हिसाब से ओवेरियन कैंसर के 4 स्टेज होते हैं –
स्टेज I – कैंसर की वजह से एक या दोनों ओवरी प्रभावित हो जाती हैं। कभी-कभी स्टेज I में ओवरी की बाहरी परत टूट जाती है और कैंसर की कोशिकाएं ओवरी के बाहर और पेरिटोनियल कैविटी फ्लूइड में भी पाई जाती हैं।
स्टेज II – कैंसर एक या दोनों ओवरी में होते हैं साथ ही ओवरी के बाहर पेल्विक क्षेत्र तक फैले होते हैं। कभी कभी स्टेज II में ओवरी के बाहर की परत टूट जाती है और ओवेरियन कैंसर यूट्रस और पेरिटोनियल कैविटी तक फैल जाता है।
स्टेज III – कैंसर एक या दोनों ओवरी में होता है और पेल्विस, पेट, आसपास की लिम्फ नोड्स और छोटी आंत तक भी फैल सकता है।
स्टेज IV – कैंसर पेट के साथ शरीर के बाकी अंगों तक फैलने लगता है जैसे फेफड़े और लिवर।
कैंसर की कोशिकाएं कितना ज्यादा असामान्य रूप से बढ़ रही हैं इसके हिसाब से ओवेरियन कैंसर को 3 ग्रेड में भी समझा जा सकता है:
ग्रेड 1 (लो ग्रेड) – कैंसर की कोशिकाएं मात्र ओवरी में पाई जाती हैं और ये सामान्य कोशिकाओं जैसी ही दिखती हैं। इनके फैलने की संभावना कम होती है।
ग्रेड 2 और ग्रेड 3 (हाई ग्रेड) – कैंसर की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और इनके फैलने की संभावना ज़्यादा रहती है।
किस प्रकार का ट्रीटमेंट आप करा रहे हैं और आपका शरीर उसमें कितना साथ दे रहा है इन बातों पर निर्भर करते हुए ओवेरियन कैंसर का ट्रीटमेंट 6 से 12 महीने तक चल सकता है। अगर कैंसर के दुबारा होने की स्थिति दिखती है तो आपके डॉक्टर आपका इलाज और भी लंबे समय तक कर सकते हैं।
ओवेरियन कैंसर के शुरुआत में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते हैं जिसकी वजह से जल्दी इसकी पहचान नहीं हो पाती है।
इसलिए ये ओवरी से पेल्विस तक 3 से 6 महीने में पहुंचती है और तेज़ी से एक साल के अंदर ही एडवांस स्टेज तक पहुंच जाती है। ओवरी की किस प्रकार की कोशिकाएं हैं इस पर भी ये फैलाव निर्भर करता है। हाई ग्रेड के ओवेरियन कैंसर तेज़ी से बढ़ कर फैलते हैं और लो–ग्रेड के कैंसर धीमे बढ़ते हैं।
अगर आपको ओवेरियन कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपके डॉक्टर आपका पेल्विक एग्जाम करेंगे। CA–125 ब्लड टेस्ट और ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड स्कैन में एक रॉड डाल कर यूट्रस, फैलोपियन ट्यूब और ओवरी की जांच करेंगे। अगर इन सब टेस्ट के परिणाम संदेह वाले हैं तो ये ओवेरियन कैंसर की तरफ इशारा करते हैं। कैंसर की पुष्टि करने के लिए आगे और भी इमेजिंग टेस्ट (CT स्कैन, MRI स्कैन, पेट स्कैन), बायोप्सी और जेनेटिक टेस्टिंग जैसे टेस्ट किए जाते हैं।
60 से ऊपर के उम्र की महिलाओं के लिए जिनका पारिवारिक इतिहास ब्रेस्ट कैंसर, आंत (बॉवेल) के कैंसर, या जेनेटिक म्यूटेशन से हुए ओवरियन कैंसर का रहा हो, उनके लिए ओवेरियन कैंसर का खतरा ज़्यादा होता है। क्योंकि ये खतरा उम्र के साथ बढ़ते जाता है और जेनेटिक म्यूटेशन होने के भी आसार बढ़ते जाते हैं, इसलिए अपने डॉक्टर से संपर्क करके स्क्रीनिंग के लिए जाना चाहिए।
ज्यादातर 60 साल के ऊपर की महिलाओं में ओवेरियन कैंसर होता है। शायद ही कभी 40 साल से कम की महिलाओं को ये कैंसर हो क्योंकि रिसर्च भी यही कहती हैं के ये खतरा उम्र के साथ बढ़ते जाता है।
हां, ओवेरियन कैंसर पेट, पीठ, और कमर के नीचे के हिस्से में दर्द पैदा कर सकता है। बढ़ते हुए कैंसर के साथ दर्द भी बढ़ते जाता है। स्टेज 3 और 4 में लगातार दर्द बने रहना एक सामान्य लक्षण है। ओवेरियन कैंसर के ट्रीटमेंट जैसे कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या सर्जरी के दौरान भी दर्द होता है जब कैंसर को कोशिकाएं नष्ट होती हैं।
सबसे पहले CA–125 ब्लड टेस्ट और ट्रांसवेजाईनल अल्ट्रासाउंड (TVUS) स्कैन किए जाते हैं। आपके डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट, जेनेटिक टेस्ट और बायोप्सी करके ओवेरियन कैंसर के प्रकार और स्टेज की पहचान करके उनके हिसाब से सही ट्रीटमेंट चुनते हैं।
ओवेरियन कैंसर के लिए कीमोथेरेपी की 3 से 6 साइकिल की जरूरत होती है। ओवेरियन कैंसर के प्रकार और स्टेज के हिसाब से कीमोथेरेपी हर 3 से 4 हफ्ते में एक बार दी जाती है। ये 3 से 4 हफ्ते की टाइमलाइन एक साइकिल की है जिसका मतलब ये है कि पूरा ट्रीटमेंट होने में 6 महीने लग जाते हैं।
ओवेरियन कैंसर के हर मामले जानलेवा साबित नहीं होते हैं। औसतन ओवेरियन कैंसर के मरीज़ 5 साल तक जीवित रह सकते हैं। मरीज़ की स्थिति और ट्रीटमेंट के परिणाम के हिसाब से ये संभावना 10 साल तक भी हो सकती है और एक साल से कम भी हो सकती है। स्टेज 4 के कैंसर को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इनका इलाज करके मरीज की उम्र कुछ हद तक बढ़ाई जा सकती है।
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